वाशिंगटन-दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति निर्वाचित होने की ख्वाहिश रखने वाले बराक ओबामा ने एक बार फिर आउटसोर्सिग पर हमला बोला है। छह नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर उन्होंने आउटसोर्सिग को अपना हथियार बनाते हुए कहा है कि विदेशियों को नौकरी देने वाली अमेरिकी कंपनियों को मिलने वाली कर रियायतें समाप्त कर दी जाएंगी। इस कदम से भारत में भी कंपनियां प्रभावित होंगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि अपने देश में विदेश से रोजगार लाने तथा निवेश करने वाली कंपनियों को पुरस्कृत करने के लिए सरकार जल्द ही नई नीतियां लाएगी।
अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था का एक ऐसा खाका पेश किया, जिसके तहत अमेरिका को आउटसोर्सिग, कर्ज के बोझ और दिखावे के वित्ताीय लाभ से दूर ले जाया जाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी धन का इस्तेमाल उन कंपनियों के खर्चो को पूरा करने में किया जाना चाहिए, जो देश में नौकरियां लाने का प्रयास करती हैं।
उन्होंने कहा, 'अब हमारी अर्थव्यवस्था जैसे-तैसे सुधर रही है तो आउटसोर्सिग इसे कमजोर कर रही है।' हालांकि उन्होंने कहा कि अमेरिका अति कुशल पेशेवरों और निवेशकों का अपने देश में स्वागत करता है। इसके लिए उन्होंने आव्रजन नियमों में भी सुधार किए जाने की बात कही। ओबामा का कहना है कि हम ऐसे सभी लोगों का समर्थन करते हैं जो एपल के दिवंगत सह संस्थापक की तरह यहां नए-नए उत्पाद लांच करें और रोजगार के नए अवसर मुहैया कराएं। ऐसे लोगों को अति शीघ्र यहां की नागरिकता दिए जाने के संबंध में कानून को भी लचीला बनाया जाएगा।
वैश्रि्वक मुद्दों पर अमेरिका रहेगा सबका बॉस
ओबामा ने कहा है कि वैश्रि्वक मामलों के संदर्भ में अमेरिका एक अपरिहार्य देश बना रहेगा। एक ऐसा देश जिसकी रजामंदी के बिना किसी भी वैश्रि्वक मुद्दे पर फैसला नहीं लिया जा सकता है। जो लोग इसकी शक्ति घटने की बात कहते हैं वह नहीं जानते कि वह क्या कह रहे हैं। हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका प्रशांत क्षेत्र की ताकत है।
भाषण की अहम बातें
-देश के आव्रजन नियमों में व्यापक सुधार की वकालत।
-आउटसोर्सिग जारी रखने वाली कंपनियों पर कर छूट समाप्त करने का आह्वान।
-व्यापार के अनुचित तौर-तरीकों से निपटने और घरेलू कंपनियों को मदद देने के उद्देश्य से नवीन व्यापार प्रवर्तन इकाई का गठन। यह इकाई चीन जैसे देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर तरीकों की जांच करके उनसे दंड शुल्क वसूल करेगी।
-ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए प्रतिबद्धता जताई। -कहा, तालिबान की रीढ़ टूट गई है और अलकायदा के शेष आतंकी अमेरिका से बचने के लिए छिपते फिर रहे हैं।
बराक के नए तेवर खतरनाक!
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आउटसोर्सिग पर रोक लगाने की अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की नई घोषणा से इंडिया इंक परेशान है। भारतीय उद्योग जगत मान रहा है कि ऐसे समय जब वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर जा रही है। देश की आइटी कंपनियों के समक्ष चुनौती बढ़ रही है, ओबामा का 'नया आर्थिक ब्लूप्रिंट' कई तरह की परेशानी पैदा कर सकता है।
वैसे, भारतीय उद्योग जगत यह भी उम्मीद कर रहा है कि पहले की तरह इस बार भी ओबामा आउटसोर्सिग पर सिर्फ राजनीतिक बयान देकर रह जाएंगे। साथ ही यह आशा है कि बराक की नई आर्थिक नीति से अमेरिकी अर्थंव्यवस्था जल्दी से पटरी पर आएगी। इसका फायदा भारतीय कंपनियों को भी मिलेगा। देश की आइटी कंपनियों के शीर्ष संगठन नास्कॉम ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ओबामा की घोषणाओं का स्वागत किया है। संगठन ने कहा है कि ओबामा ने अमेरिका में बौद्धिक कुशलता की कमी का उल्लेख किया है। इससे कॉरपोरेट जगत के समक्ष नई तरह की संभावनाएं पैदा होंगी। नास्कॉम ने वीजा नियमों में बदलाव करने के ओबामा के एलान पर सतर्कता से बयान जारी किया है। उद्योग चैंबर फिक्की के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका चाहता है कि बेहतर कौशल वाले लोग ही उनके यहां आएं। लिहाजा भारतीय कंपनियों को डरने की जरूरत नहीं है। देश की कंपनियां विश्वस्तर की हैं और भारतीय प्रोफेशनल भी दुनिया में बेहतरीन हैं।
उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि चार वर्षो में दूसरी बार मंदी का शिकार होने के बाद अमेरिका में आर्थिक नीतियों को लेकर नए सिरे से विचार-विमर्श हो रहा है। ओबामा का 'नया आर्थिक ब्लूप्रिंट' इसका संकेत है। ओबामा ने यह भी कहा है कि अमेरिका में मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों को एक बार फिर प्रोत्साहित किया जाएगा। यह भारत जैसे विकासशील देशों के लिए सही संकेत नहीं है, क्योंकि पिछले एक दशक से यह माना जा रहा था कि भारत, चीन में मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग लगाना सही है।
पाबंदी से क्यों घबरा रहा इंडिया इंक
-88 अरब डॉलर का है भारत का आइटी-बीपीओ उद्योग
-25 लाख लोगों को सीधे तौर पर मिली है नौकरी
-प्रत्यक्ष व परोक्ष तौर पर 83 लाख लोगों को दे रहा है रोजगार
-कुल आइटी निर्यात का 60 फीसदी अमेरिका को
-लगभग 500 अमेरिकी कंपनियों के भारत में आइटी-बीपीओ केंद्र
-सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] में है 6.4 फीसदी का योगदान
-देश के कुल निर्यात में 26 फीसदी का हिस्सा
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